देश, युवा और समाज को जगाने के लिए पीयूष मिश्रा ने अपनी गायिकी से ऑडियंस को कई मैसेज दिए। उन्होंने अपनी परफॉर्मेंस की शुरुआत ‘तुम ही कल के हो सिपाही, तुम्हीं हो कल के सिकंदर...’ जैसे जोशीले गाने से की। 1947 से लेकर देश की तमाम तरक्कियों को पीयूष ने अपनी परफॉर्मेंस से बयां किया। पीयूष ने एक्सपो हुए शहर की दास्तां सुनाते हुए सुनाया- लार टपकते चेहरों को कुछ शैतानी करनी होती है, जब शहर हमारा सोता है..., पीयूष ने ओपी नैय्यर के जमाने के रॉक एंड रोल धुन पर युवाओं को झूमने पर मजबूर कर दिया। उन्होंने देश की मौजूदा और बीते हुए दिनों को भी याद किया। उन्होंने सुनाया- दाने-दाने बिखर गए खाने वाले एकजुट हुए... लूट मची है लूटपाट के भाग रे भइया...। इसके बाद उन्होंने आह्वान करते हुए कहा- नया भगत है छुट्टी में टॉम क्रूज़ को लाओ...। अॉडियंस की डिमांड पर उन्होंने गैंग्स ऑफ वासेपुर की सुपरहिट पंक्तियों को भी अपने अल्फाजों में सुनाया। ‘एक बगल में चांद होगा, इक बगल में रोटियां...’ को दर्शकों ने खूब पसंद किया। इसके बाद पीयूष ने ‘आरंभ है प्रचंड...’ की एनर्जेटिक परफॉर्मेंस दी। जोश भर देने वाली... आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
Read More