रिम-झिम, रिम-झिम बरखा आई, ख़ुश हो मोर हैं नाचे, रंग-बिरंगे पंख देखकर, बच्चे ख़ुश हो जाएं। पेड़ के ऊपर बैठा काला कौवा मोर से बोला, आप का सुंदर नाच देखकर मेरा मन भी डोला। भैया मुझको नाच सिखा दो नाच के धूम मचाएंगे हम दोनों का नाच देखकर बच्चे ख़ुश हो जाएंगे प्यारे-प्यारे काले कौवे अपना नहीं है मेल घूम-घूमकर नाच है करना बच्चे का नहीं है खेल। किड्सपेज- दैनिक भास्कर, 4/54, प्रेस कॉम्प्लेक्स, ए.बी.रोड, इंदौर- 452001 (मप्र) [email protected] आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
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