कोई भी वैश्विक प्रणाली बहुजन हिताय और बहुजन सुखाय पर ही चल सकती है और अगर वह स्वजन हिताय पर जोर देगी तो वह अपने ही बोझ तले दब जाएगी। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें