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एक साल पहले तक 45 फीसदी हादसे थे जानलेवा राष्ट्रीयराजमार्ग संख्या आठ के अधूरे निर्माण और गांव के रास्तों के हाइवे पर असुरक्षित निकास ने साल 2017 में हाइवे पर मौतों का आंकड़ा दोगुना कर दिया है। सितंबर तक हाइवे पर 138 दुर्घटनाओं में 97 लोगों की जान जा चुकी है। हादसों में मौतों का प्रतिशत 2016 तक 45 फीसदी तक रहा, लेकिन 2017 में यह औसत 70 फीसदी के पार हो गया। अक्टूबर से दिसंबर तक के हादसे अलग हैं। गंभीर बात ये कि मरने वालों में ज्यादातर हाइवे से सटे गांव रिवाली, दहमी, हमजापुर, कांकरदोपा, कल्याणपुरा, जागुवास, गूंती, शेरपुर, कारोड़ा, जैनपुरवास के रहने वाले थे। इन गांवों में हादसों का इतनी दहशत बन चुकी है कि वहां बच्चों के हाइवे करीब जाने पर ही रोक लगा दी गई है। ग्रामीणों का कहना है कि गांवों के बस स्टैंड पर खड़े लोग भी हाइवे के वाहनों की चपेट में आने लगे हैं। मरने वालों में कई अपने परिवार के मुखिया थे। उनकी मौत से परिवार बुरी तरह तंगी से घिर गए। उनका गुस्सा इस बात को लेकर है कि एनएच 8 पर हर रोज 35 हजार से ज्यादा वाहन निकलते हैं। उनसे सरकार को रोजाना करीब एक करोड़ रुपए टोल मिलता है।... आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें

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