सोशल मीडिया डेस्क। इंडियन कल्चर में जब भी एक साथ माता-पिता की बात होती है तो ज्यादा बातें मां के बारे में होती है। पिता के बारे में बहुत ज्यादा कुछ कहा नहीं जाता। कहानियों और कविताओं में अक्सर मां की पीड़ा, उनका संघर्ष और त्याग दिखाई पड़ता है लेकिन एक बच्चे के जीवन में पिता की भूमिका का महिमागान नहीं होता। एक बच्चे के साथ-साथ, एक अच्छे समाज और देश के लिए भी अच्छे माता-पिता उतने ही जरूरी होते हैं। उज्जैन के मशहूर कवि स्व. डॉ. हरिओम व्यास ने मां और पिता दोनों की ही भूमिका को इतनी गहराई से शब्दों में पिरोया है कि आज उनकी रची दोनों कविताएं इंटरनेट पर छाई हुई हैं। सोशल मीडिया पर उनकी कविताएं रीडर्स को इमोशनल कर जाती हैं। #fathersday के मौके पर dainikbhaskar.com पर पढ़िए माँ संवेदना है तो पिता क्या है? पं. ओम व्यास की वही इमोशनल कविता . . . नमम के साथ साभार : प.हरिओम व्यास पिता…पिता जीवन है, सम्बल है, शक्ति है, पिता…पिता सृष्टि मे निर्माण की अभिव्यक्ति है, पिता अँगुली पकड़े बच्चे का सहारा है, पिता कभी कुछ खट्टा, कभी खारा है, पिता…पिता... आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
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