रांची - पूरी खबर

श्रीमद् भागवत कथा के श्रवण मात्र से ही जन्म जन्मांतर के पाप मिट जाते हैं : सदानंद महाराज हमारेजीवन में संतोष एक गहने की तरह है। अमीर, गरीब सभी के जीवन में सुख और दुख आते हैं। परिस्थितियों को स्वीकारते हुए संतोषप्रद जीवन जीना ही जीने की कला है। मन से व्यर्थ की बातों और चिंताओं को निकाल फेंकें, जिंदगी खुशहाल हो जाएगी। यह बातें जीवन प्रबंधन गुरु पंडित विजय शंकर मेहता ने कही। वे श्री हनुमान सेवा संस्थान और जीवन प्रबंधन समूह की आेर से हरमू मैदान में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन शनिवार को प्रवचन दे रहे थे। उन्होंने कहा कि प्रेम परिवार रूपी गाड़ी की धुरी है। प्रेम के आधार पर ही परिवार सुखी और संतृप्त रहेगा। मन ही हमारी सारी परिस्थितियों के लिए जिम्मेवार होता है। मन कोई अंग नहीं, बल्कि अवस्था का नाम है। विचार और स्मृतियों का मंथन ही मन है। मन को नियंत्रित रखें, सदा सुखी रहेंगे। भारत में संयुक्त परिवारों का टूटना समस्त दुखों का कारण है। हमें अपने परिवार को बचाना होगा, जिस मां-बाप ने अपने बच्चों को पालने में अपना सारा जीवन खपा दिया, आज वही मां-बाप ही... आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें

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